शासन की योजना से वंचित
बालाघाट जिले के तिरोड़ी तहसील के आखरी छोर की ग्राम पंचायत गोरेघाट के हेटी में रहने वाली महिला गौरा बाई राउत पति स्वर्गीय श्री ब्रजलाल राऊत उम्र लगभग 42 वर्ष जाति गोवारी जो पिछले कई वर्षो से अपने झोपड़े में निवास कर रही है । मतदान के समय सभी को गौरा बाई की याद आती है मगर चुनाव होते ही सब भूल जाते है या जानबूझकर उसे भुला दिया जाता है।
क्या ऐसे रामराज की कल्पना की जा रही है?
आज मोदी जी वाहवाही और प्रदेश की सरकार ढिंढोरा पीट रही है हमारी ये उपलब्धि है वो उपलब्धि है मगर उन्हें जमीनी हकीकत से वाकिफ ही नही है ऐसा ही मामला ग्राम पंचायत गोरेघाट के हेटी का है महिला गौरा बाई जिसका पति करीब 15 साल पहले मर चुका है दो बेटे थे एक जवान बेटा वह लगभग 6 माह पुर्व रजनीकांत उम्र लगभग 20 वर्ष कमाई करने नागपुर गया था मां और छोटा भाई जिसकी उम्र 9 वर्ष के लिए कुछ पैसे और घर का सामान लेकर आ रहा था की अचानक रास्ते में दुर्घटना हो गई जिसे नागपुर के मेडिकल में भर्ती कराया गया जिसे डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया जिससे रजनीकांत की लीला समाप्त हो गई और गौरा बाई का एक कमाई वाला हाथ टूट गया जिससे गौरा बाई टूट गई। अब गौरा बाई का दूसरा हाथ मतलब दूसरा बेटा जो मात्र 9 साल का है उसे जैसे तैसे पाल रही है । गौरा बाई की तबियत भी खराब रहती है और खाने के लाले पड़े है गौरा बाई बताती है की उसे कई बार राशन के अभाव में बेटे के साथ भूखे सोना पड़ता है। कैसा राम राज जो आज भी भूखा सो रहा है , पंचायत से न तो राशन कार्ड बना है और न ही किसी प्रकार की सरकारी योजना का लाभ मिल रहा है।
रहने को नही है मकान,करना पड़ता है झोंपड़ी में गुजारा
गौरा बाई ब्रजलाल की दूसरी पत्नी है जब से शादी हुई तब से वह पति और बच्चों के साथ खेत में झोपड़ी बनाकर रहते थे । पति और बच्चे के मरने के बाद राजीव सागर परियोजना के हेली पेड के पास शेर के डर से अपनी झोपड़ी बनाकर दूसरे मकान के सहारे अपने छोटे बेटे के साथ रह रही है।
सरकार से विधवा महिला की गुहार
गौरा बाई श्री मोदी और श्री मोहन सरकार से ये गुजारिश करती है की उसे भी सरकारी योजना से मकान मिले, राशन कार्ड बने जिससे उसे राशन मिले, आयुष्मान कार्ड बने जिससे वह खुद का और बच्चे का इलाज करा सके,विधवा पेंशन मिले जिससे उसका गुजर हो सके।
पंचायत के लगा चुकी है कई चक्कर
गौरा बाई राउत में प्रेस में बताया की वह कई वर्षो से पंचायत के चक्कर काट रही है मगर कागज के अभाव में उसका कोई भी काम नही हो रहा है उसने बहुत मशक्कत के बाद परिचय पत्र और आधार कार्ड बना ली है मगर उसे ज्यादा कुछ नहीं समझता जिससे वह आधिकारी और कार्यालय के चक्कर काट सके और उसकी सहायता कोई भी कर्मी कर नही रहा है लेकिन गौरा बाई आगे बताती है की चुनाव में सभी लोग पंच सरपंच उम्मीदवार आते है और सारे काम कर देने का वादा कर चलें जाते है लेकिन चुनाव होते ही सब भूल जाते है।
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